Saturday, December 24, 2011

गप्प सरक्का -------by Satya Narayan Jha

आजुक लाइफ स्टाइल काफी बदलि गेलैक अछि |तै लोकक दिनचर्या सेहो बदलि गेलैक अछि |नौकरी पेशा आदमी जिनका बहुत तन्खाह छनि सेहो बहुत सुखी नहि छथि |ओहो अत्यंत तनाव मे रहैत छथि |कारण आर्थिक रूप सं मजबूत रहितो ओ अर्थ क’ लेल तनाव मे रहैत छथि |Actuaally they are not leading very comfortable life . एतबे नहि ओहि लोकक पारिवारिक जीवन सेहो कसमकस रहैत छैक |एहन हर लोक क’ गप्प सरक्का सुनबाक चाही.|अगर लिखल गेलैक अछि त’ पढ़क चाही | हँसी लागि गेल त’ बुझू ,दबायक काज करत |ओना मनहुश होयब त’ हँसी कोना लागत ,ज’ अहाँ नहि हसब त’ अहाँक देखि हमरा जरुर हँसी लागि जायत |--------
त’ सुनू एकटा गप्प |ई गप्पे छैक मुदा हिन्दुस्तान छैक ,ई बात सत्तो भ’ सकैत छैक |ई बात गलत छैक अथवा सही ,से त’ वैह कहता जे आइ० ए० एस० क’ तैयारी करैत हेताह |पछिला सालक प्रश्न मे खोजताह त’ भ’ सकैत छैक प्रश्न आ उत्तर भेट जानि |हम ओ प्रश्न आओर उत्तर एहिठाम उद्धृत क’ दैत छी |एहि उत्तर सं एक्सपर्ट प्रसन्न भ’ ९० प्रतिशत मार्क देने छलखिन |त’ सुनू ---एक बेर आइ०ए० एस०’ (यु० पी० एस० सी० ) क’ इंटरभ्यु
मे एक कंडीडेट क’ प्रश्न पुछल गेलैक जे, एक कप चाह छैक आ ओहि मे एकटा मांछी मरि गेल छैक |चारि देस यथा इंग्लॅण्ड ,चीन ,रूस आओर भारत | माछी बाला चाह देखि चारु देसक प्रतिक्रया बताऊ |एकोटा उत्तर सही नहि रहैक |अंत मे एकटा छात्र जिनका ९० प्रतिशत मार्क एलनि हुनकर उत्तर नीक छलनि |ओ परीक्षा मे प्रथम केलनि |ओ कहलखिन जे –श्रीमान .पहिने इंग्लैंड बाला चाह क’ देखलखिन |होटल मालिक क’ बिना कहने ओ चाह देखि चलि गेलाह कारण इंग्लैंड बाला स्मार्ट होह्त छैक ,ओ एहन चाह कोना पिबतथि |चीन बालाक लेल मांछी की ,ओ
मांछी समेत पी जेतैक |रूस साम्यबादी देस ,चीज कें कोना बर्बाद करतैक तै ओ मांछी हटा चाह पीबि जेतैक |भारतीय पहिने टेबुल पर एक गिलास पानि पियत ,तखन चाह दीस देखत | फेर इम्हर उम्हर देखत आ धीरे सं मांछी क’ कप सं निकालि आधा कप चाह पियत आ फेर ओहि मांछी क’ कप मे राखि, बेरा क’ बजाय डांटत आ होटल सं तामसे निकलि जायत |ई प्रश्न आइ० ए० एस० क’ मॉडल प्रश्न आ उत्तर छैक |
गप्प सरक्का -------
आजुक लाइफ स्टाइल काफी बदलि गेलैक अछि |तै लोकक दिनचर्या सेहो बदलि गेलैक अछि |नौकरी पेशा आदमी जिनका बहुत तन्खाह छनि सेहो बहुत सुखी नहि छथि |ओहो अत्यंत तनाव मे रहैत छथि |कारण आर्थिक रूप सं मजबूत रहितो ओ अर्थ क’ लेल तनाव मे रहैत छथि |Actuaally they are not leading very comfortable life . एतबे नहि ओहि लोकक पारिवारिक जीवन सेहो कसमकस रहैत छैक |एहन हर लोक क’ गप्प सरक्का सुनबाक चाही.|अगर लिखल गेलैक अछि त’ पढ़क चाही | हँसी लागि गेल त’ बुझू ,दबायक काज करत |ओना मनहुश होयब त’ हँसी कोना लागत ,ज’ अहाँ नहि हसब त’ अहाँक देखि हमरा जरुर हँसी लागि जायत |--------
त’ सुनू एकटा गप्प |ई गप्पे छैक मुदा हिन्दुस्तान छैक ,ई बात सत्तो भ’ सकैत छैक |ई बात गलत छैक अथवा सही ,से त’ वैह कहता जे आइ० ए० एस० क’ तैयारी करैत हेताह |पछिला सालक प्रश्न मे खोजताह त’ भ’ सकैत छैक प्रश्न आ उत्तर भेट जानि |हम ओ प्रश्न आओर उत्तर एहिठाम उद्धृत क’ दैत छी |एहि उत्तर सं एक्सपर्ट प्रसन्न भ’ ९० प्रतिशत मार्क देने छलखिन |त’ सुनू ---एक बेर आइ०ए० एस०’ (यु० पी० एस० सी० ) क’ इंटरभ्यु
मे एक कंडीडेट क’ प्रश्न पुछल गेलैक जे, एक कप चाह छैक आ ओहि मे एकटा मांछी मरि गेल छैक |चारि देस यथा इंग्लॅण्ड ,चीन ,रूस आओर भारत | माछी बाला चाह देखि चारु देसक प्रतिक्रया बताऊ |एकोटा उत्तर सही नहि रहैक |अंत मे एकटा छात्र जिनका ९० प्रतिशत मार्क एलनि हुनकर उत्तर नीक छलनि |ओ परीक्षा मे प्रथम केलनि |ओ कहलखिन जे –श्रीमान .पहिने इंग्लैंड बाला चाह क’ देखलखिन |होटल मालिक क’ बिना कहने ओ चाह देखि चलि गेलाह कारण इंग्लैंड बाला स्मार्ट होह्त छैक ,ओ एहन चाह कोना पिबतथि |चीन बालाक लेल मांछी की ,ओ
मांछी समेत पी जेतैक |रूस साम्यबादी देस ,चीज कें कोना बर्बाद करतैक तै ओ मांछी हटा चाह पीबि जेतैक |भारतीय पहिने टेबुल पर एक गिलास पानि पियत ,तखन चाह दीस देखत | फेर इम्हर उम्हर देखत आ धीरे सं मांछी क’ कप सं निकालि आधा कप चाह पियत आ फेर ओहि मांछी क’ कप मे राखि, बेरा क’ बजाय डांटत आ होटल सं तामसे निकलि जायत |ई प्रश्न आइ० ए० एस० क’ मॉडल प्रश्न आ उत्तर छैक |

Monday, December 5, 2011

गोबरक मूल्य गंगेश गुंजन

भागलपुर मे एकटा उनटा पुल कहबैत छैक। उनटा पुलसँ दक्षिण मुँह जे सड़क जाइत छैक, तकरा बौंसीे रोड कहल जाइत छैक। बौंसी रोड पर कएक टा बस्ती-मोहल्ला लगे-लग पड़ैत छैक। बहुत रास दोकान आ लोकक, ट्रक-बस, टमटम, रिक्शा सभक खूब घन आवाजाही। सुखायल मौसम मे भरि ठेहुन ध्ूरा आ भदवारि मे भरि ठेहुन पानि-कादो। शहरी नाला सभक कारी गंदगीसँ सड़क भरल-पूरल। कैक समय तं पयरे आयब-जायब कठिन ।

मुदा सड़क छैक पीच। मोजाहिदपुर मिरजान हाट चौक, हबीबपुर आ हुसैनाबाद तथा अलीगंज। कैक जाति आ पेशाक लोक । काठ गोदामसँ ल क तसरक उद्योगी ध्रि आ जानवरक गंध् तोड़ैत हड्डीक टालसँ ल क हरियर टटका तरकारी सभक हाट ध्रि । तहिना टिक टिक घोड़ासँ ल क बड़दोसँ बत्तर ठेलासँ छातीतोड़ श्रम करैत घामे-पसेने तर माल उघैत मजूर सेहो। बच्चा, सियान सभक भीड़ भेटत । कतहु दोकानमे लागल पफलकल कोबीक छत्ता जकाँ कतहु अलकतराक उनटल पीपा जकां। ई दृश्य थिक सड़कक दुनू कातक उनटा पुलसँ ता अलीगंज।

अलीगंजसँ किछुए आगाँसँ सड़क खूब पकठोस छैक। चिक्कन कारी। तेहन जे कैक टा परिवार ओहिपर मकै-गहूम पर्यन्त पथार द क सुखबैत भेटत।

ओही इलाकाक एकटा घटना थिक। आने बीच सड़क परक अलीगंज बस्ती जत खतम होइत छैक ताही ठाम सड़कक कातमे एकटा आर कल छैक जे हरदम अबन्ड छौँड़ा जकाँ छुरछुरबैत रहैत छैक। यद्यपि भागलपुर मे पीबाक पानिक कष्ट बड़ सामान्य बात अछि, मुदा एत पानिक उदारता देखिक से समस्या अखबारी पफूसि बनि जाइत छैक। खैर, ताहू दिन खूब तेजीसँ पानि छुरछुरा रहल छलैक। क्यो भरनिहार नहि रहैक। खूब रौद रहैक। चानि खापड़ि जकाँ तबैत। तेहन सन जे चानि पर यदि बेलिक रोटी ध् देल जाइक तँ पाकि जयतैक।

एहना मौसम मे कलसँ सटले दस गोटे बीस गोटे अपन चानि तबबैत यदि घोलिमालि करैत ठाढ़ हो तँ ध्यान जायब स्वाभाविके। हमहूँ अपनाके ँ रौद, लू आ उमसमे उलबैत पकबैत ओहि द क ल जाइत रही। एकटा उपयुक्त कारण बुझायल सुस्तयबाक। भने किछु लोक

घोँघाउज क रहल छलैक। लगमे कलसँ ओतेक प्रवाह सँ जल झहरि रहल छलैक से एकटा मनोवैज्ञानिक शीतलता पसारि रहल छलैक मने।

जखन ओहि गोल लग पहुँचलहुँ तँ ईहो देखबा योग्य भेल जे ओहि घोँघाउजि मण्डलीसँ आगाँ एक टा मिनी बस ठाढ़ छैक। सन्देह नहि रहल जे कोनो दुर्घटना सँ पफराक किछु बात नहि छैक। एहन दुर्घटना मे सड़कपर ककरो मृत्यु सामान्य बात थिक। डेग अनेरे किछु झटकि गेल। लग पहुँचलहुँ आ ओहि घरेलू घोंघाउजिक कन्हापरसँ हुलकि क देखलहुँ तँ बीचमे दू पथिया गोबर हेरायल बीच सड़कपर। एक टा छौंँड़ा हुकुर-हुकुर करैत...। घोंघाउजि खूब जोरसँ चलि रहल छल। ओही लोकक गोलमे एक कात करीब १०-१२ बर्षक दूठा छौंड़ी आदंकेँ चुप्प ठाढ़ि आ कनैत... खरफकी पहिरने खूजल देह, छिट्टा सन केश...। ओहिमे सँ एक टा छौंड़ीक जमड़ी लागल अगंिह मे पफाटल पैंट, ताहिपर टटका गोबर लेभरल। दुनू छौँड़ीक गालपर हाथमे, सौँसे देहपर गोबर लागल आ दुर्घटनाग्रस्त छौँड़ाक छातीपर गोबर लागल । दू टा नान्हि टा हाथक छाप यद्यपि ओहि कड़ा रौदमे सुखा गेल रहैक, मुदा स्पष्ट रहैक।

आदंकमे पड़लि दुनू छौँड़ी, अंदाज करैत छी, गोबरबिछनी छैक। बाट-घाट जाइत अबैत गाय-महींसक गोबर जमा अछि, भरि दिन तकर गोइठा थोपैत अछि, माय वा परिवारक क्यो लोक तकरा सुखबैत अछि आ बड़का पथियामे सजाक शहर जाक बेचैत अछि । जीविकाक एक साध्न यैह गोइठाक आमदनी। गोइठा जाहिसँ बनय से गोबर आबय कतसँ एहिना अनिश्चित। कहियो एको पथिया कहियो किछु नें। तेेँ एहि सड़कपर गोइठा बिछनी छौँड़ी सभक आपस मे होइत झोंटा-झोंटीक दृश्य बड़ आम घटना रहैत छैक। आ ओकरा माय-बाप केँ गारि-सराप देलक, ओ ओकरा माय बहिनके ँ घोड़ासँ वियाह करौलक... एकहि दिन पहिने दूटा छौँड़ी बीच सड़कपर तेना पटकम-पटकी करैत रहय आ एक दोसराक झोंटाके ँ तेना नोचि रहल छल जे दया आ क्रोध् दुनू आबय मनमे, मुदा समाधन की। गोबर जकर जीविका छैक ताहि परक आपफत तँ ठीके नै सहल हेतैक ओकरा ताहूमे एक दिन हम एकटा छौँड़ी के ँ पुछने रहिऐक-÷तोरा सिनी केहने एना झगड़ा करै छे ँ, जरी टा गोबर के वास्ते?'

- ÷जरी टा छलै? एतना छलै, हम्मे जमा करी क रखलिऐ आरू ई रध्यिा मोटकी-ध्ुम्मी ने अपने छिट्टामे ध्री लेलक। आय हमरा केतना मारतै माय ? माय तँ इहे ने कहतै जे हम्मे गोबर नहि बीछय छलियै, कहीं दिन भर खेली रहल छलियै? की खयतै लोगें?'

हमर प्रश्न हमरे खूब भारी चमेटा जकाँ बुझायल, हम चोट्टहि ससरि गेल रही।

मुदा ओहि दिनुका दृश्य बड़ भार्मिक छलैक। आदंके ँ चुपचाप दहो-बहो कनैत दुनू छौँड़ी एक बेर चारू कातक लोकके ँ एक बेर शोणित बहैत बच्चाके ँ देखैत ठाढ़ि रहैक।

- ÷की होलै भाइ जी?' हम एकटा सज्जनसँ पुछलियनि।

- ÷अरे कलियुग छौं भाई जी। बताब जरी टा गोबर के वास्ते एकरा सिनी मे आपसे मे झगड़ा होलै आरू हौ छौ ँड़ी एकर छोट भाइके ँ ध्केली देलकै मिनी बसके आगूमे। देखै नै छहौ जे घड़ी मे दम टुटल छै छौँड़ाके आहा...

- ÷जरी टा गोबर छलै उफ? माय किरिया खा के कही तँ लछमिनियाके ँ जे हमर एक चोत गोबड़ छलय कि नै ?' अचानक जेना खूब साहस करैत आदंकित एक टा छौंड़ी कनिते बाजलि-

हमरा अकस्मात लोकसभपर खासक ओही भाइ साहेबपर क्रोध् उठल।

- ÷विचित्रा बात तोरा की नहि देखाइ रहल छ जे ई बुतरू मरि रहल दै आ अस्पताल पहुँचाबै के पिफकिर नै करीक दबकि बनल खाड़ छ ध्क्किार।'

सभ जेना हमरेपर गुम्हर लागल।

- ÷आब की ई बच पाड़तै? की पफयदा लय गेलासँ।'

- ÷तैयो लै जायमे की हर्जा? भाइ-साहेब ठीके तँ कही रहल छै हौ।' एक गोटे अपन विचार देलकैक।

मुदा तकर कोनो प्रयोजन नहि भेलैक। घोल-पफचक्का मचिते रहलैक, ओ दुनू गोबरबिछनी छौंड़ी आदंके ठाढ़िए रहलि लोकसँ घेरायलि। बीच बाटपर ओहि घायल नेनाक प्राण छुटि गेलैक। एक चुरफक पानियो ने देलकै क्यो।

एहि संदर्भमे एकटा लेखकक टिप्पणी प्रस्ताव करैत छी जे ई दृश्य छल एकटा नहि, कैकटा गोबर पर जिनहार परिवारक बच्चाक संघर्षक। एक बहिन ककरो एक चोत गोबर चोरा लेलकै तँ तामसमे ओ चौरौनिहारक छोट भाइके ँ सड़कपर ध्क्का द देलकै आ मिनीबस ओकरा पीचि देलकै। पीचपर शोणित आ गोबर बराबरि दामक भेल जे रौदमे सुखाइत रहलैक।

बौंसी रोडक ई दृश्य जे देखने होयता सैह बुझने होयता - एतबे कहब।

हमरा तँ ईहो नहि बुझल अछि जे मुइल छौंड़ाक मायो-बाप छलैक कि नहि? छलैको तँ ओकरा कखन खबरि भेल होयतैक जे ओकर बेटा मिनीबसमे पिचा क मरि गेलैक। वा मिनीबसक ड्राइवर कोन थानामे जाक कहने होयतैक जे हम एकटा निरीह छौंड़ाके ँ खून क क आबि रहल छी?

हमरा तँ नहि बूझल अछि ओहि दुनू छौंड़ियो क, मुदा ओहि घटनाक बादसँ मनमे एहि बातक अंदेशा अवश्य होइत रहैत अछि जे कतहु दुनू छौंड़ी पफेर ने एहि बौंसी रोडपर गोबर बीछैत भेटि जाय... कतहु पफेर ने भेटि जाय।.....

आ, सत्य पूछी तँ आब हमरा सभटा गोबर बिछनी एक्के रंग लगैत अछि।



श्री गंगेश गुंजन(१९४२- )। जन्म स्थान- पिलखबाड़, मधुबनी। एम.ए. (हिन्दी), रेडियो नाटक पर पी.एच.डी.। कवि, कथाकार, नाटककार आ' उपन्यासकार। मैथिलीक प्रथम चौबटिया नाटक बुधिबधियाक लेखक। उचितवक्ता (कथा संग्रह) क लेल साहित्य अकादमी पुरस्कार। एकर अतिरिक्त्त हम एकटा मिथ्या परिचय, लोक सुनू (कविता संग्रह), अन्हार- इजोत (कथा संग्रह), पहिल लोक (उपन्यास), आइ भोट (नाटक)प्रकाशित। हिन्दीमे मिथिलांचल की लोक कथाएँ, मणिपद्मक नैका- बनिजाराक मैथिलीसँ हिन्दी अनुवाद आ' शब्द तैयार है (कविता संग्रह)।

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